कठिनाइयों से घबराओ नहीं, बल्कि उनका डटकर सामना करो
नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका itisir.com पर, इस पोस्ट में हम कठिनाइयों से घबराओ नहीं, बल्कि उनका डटकर सामना करो कहानी सुनाने जा रहे हैं।
बहुत समय पहले की बात है एक शिल्पकार एक मूर्ति बनाने के लिए किसी घने जंगल में पत्थर ढूंढने के लिए गया। वहां उसे मूर्ति बनाने के लिए एक बहुत अद्भुत पत्थर मिल गया।
वो पत्थर लेके वापस घर आते समय रास्ते से एक ओर पत्थर साथ उठा लाया। घर आकर उसने अद्भुत वाले पत्थर को मूर्ति बनाने के लिए, हथौड़ी और छेनी से उस अद्भुत पत्थर पर कारीगरी शुरू कर दी।
जब शिल्पकार की छेनी और हथौड़ी से पत्थर को चोट लगने लगी तो पत्थर ने दर्द से कराहते हुए शिल्पकार से बोला,
अरे दादा मेरे से यह दर्द सहा नहीं जाता, ऐसे तो मैं बिखर जाऊंगा। तुम किसी और पत्थर की मूर्ति बना दो ना प्लीज़
उस पत्थर की बात सुनकर शिल्पकार को दया आ गई। उसने उस पत्थर को छोड़कर दूसरे पत्थर की गढ़ाई करनी शुरू कर दी और दूसरे पत्थर ने कुछ भी नहीं बोला। शिल्पकार ने थोड़े ही समय में एक प्यारी सी भगवान की मूर्ति बनाकर तैयार कर दी।
नजदीक गांव के लोग तैयार मूर्ति को लेने के लिए आए। मूर्ति को लेकर निकलने वाले थे लेकिन उन्हें ख्याल आया कि नारियल फोड़ने के लिए भी एक पत्थर की जरूरत होगी, तो वहां पर रखा पहले वाला पत्थर भी उन्होंने अपने साथ ले लिया।
मूर्ति को ले जाकर उन्होंने मंदिर में सजा दिया और पहले वाले पत्थर को मूर्ति के सामने रख दिया।
मंदिर में जब भी श्रद्धालु दर्शन करने आते, तो मूर्ति पर फूल माला चढ़ाते, दूध से नहलाते और उसकी पूजा करते। और सामने वाले पत्थर पर नारियल फोड़ते हैं, अब पहले वाले पत्थर को हर रोज दर्द सहना पड़ता था।
उसने मूर्ति वाले पत्थर से कहा,
तुम्हारे तो मजे है। रोज फूल माला से सजते हों, रोज तुम्हारी पूजा होती हैं। मेरी तो साला किस्मत ही खराब हैं। रोज लोग नारियल फोड़ते हैं और मुझे दर्द सहना पड़ता है।
पहले वाले पत्थर की बात सुनकर मूर्ति बने पत्थर ने कहा,
देख दोस्त अगर उस दिन तूने शिल्पकार के हाथ का दर्द सहा होता, तो आज तुम्हें यह दिन नहीं देखना पड़ता और तुम मेरी जगह पर होते। लेकिन तुमने तो थोड़े से समय के दर्द को ना सहकर आसान वाले रास्ते को चुना। अब तुम उसका नतीजा भुगत रहे हो।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
हमारे जीवन में बहुत सी कठिनाइयां आती है। बहुत सारा दर्द भी झेलना पड़ता है। लेकिन हमें इनसे डरकर पीछे नहीं हटना है, इनका डटकर मुकाबला करना है। यह विपरीत परिस्थितियां हमें और ज्यादा मजबूत बनाएगी। जिससे हम अपनी मंजिल के और ज्यादा करीब पहुंच जाएंगे।
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